Back To The Nature...
01 August, 2017
आकाश को गहिराई भित्र कतै
जो खोजिरहेछु मन चित्र आफ्नो
शायद , बुझेको भए यथार्थ मैले
अस्तित्व होईन जिवन समाउँथेँ।
~
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